मदद ,बोहरा समाज ने सबको दिखाया रास्ता जब भी कोई बड़ा जुर्म होता है, बड़ी सड़क दुर्घटना होती है तो गुस्साए लोग चक्का जाम कर देते हैं और सारा ठीकरा पुलिस के मत्थे फोड़ देते हैं। कोई आतंकी घटना होती है या राजनैतिक रैलियों और धार्मिक आयोजनो से आम आदमी का चलना-फिरना हराम हो जाता है तब भी पुलिस की खिंचाई शुरू हो जाती है पर हमारा ध्यान इस तरफ कम ही जाता है कि पुलिस किन हालात मे काम करती है। श्री बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री रह चुके हैं और दूसरी या तीसरी बार गृह मंत्री बने हैं।वे बरसों से पुलिसजनों की साप्ताहिक छुट्टी की वकालत करते रहे हैं पर हुआ-गया कुछ नहीं। पुलिस का ज़्यादा वक्त बीतता है राजनैतिक पार्टियों के धरना-प्रदर्शन और चक्काजाम, मंतरी-संतरी के उदघाटन-शिलान्यास और वीआईपी सुरक्षामे। इसके बाद नंबर आता है धार्मिक संगठनों के जलसा-जुलूस आदि के प्रबंधन मे। जरा गौर करें कि गणपति स्थापना और विसर्जन, दुर्गा स्थापना और विसर्जन, काँवड़यात्रा, परशुराम जयंती,महावीर जयंती, बुद्ध जयंती, रविदास जयंती ,वाल्मीकि जयंती गुरु नानक जयंती,अंबेडकर जयंती, अग्रसेन जयंती, मोहर्रम जुलूस और माता की चुनरी जैसे जलसा जुलूसों के प्रबंधन मे पुलिस और प्रशासन को कितनी मारा मारी करनी पड़ती है। !इन बेगारों की वजह से उसे कानून व्यवस्था पर नियंत्रण और अपराधों की पड़ताल जैसे कामो के लिए समय ही नहीं मिल पाताजिसके लिए उसे बनाया गया है। दाऊदी बोहरा समाज ने बिना पुलिस मदद के धार्मिक जलसा जुलूस का प्रबंध कर अनूठी मिसाल पेश की है। डीबी स्टार की खबर के मुताबिक समाज ने अपने धर्मगुरु सैयदना साहब के भोपाल आगमन से लेकर उनकी बिदाई और आयोजनो के सारे सूत्र खुद संभाल अन्य धार्मिक संगठनों के लिए मिसाल पेश की है। समाज ने सैयदना साहब की सुरक्षा से लेकर साफ-सफाई, खानपान और निमंत्रण देने का काम खुद किया और सरकार से कोई मदद नहीं ली। समाज के अपने सुरक्षा गार्ड हर जगह तैनात रहे और सैयदना साहब के वाहन की पायलेटिंग की जवाबदारी बुरहानी गार्ड कर रहे थे। इसके लिए देश भर से 320 गार्ड भोपाल आए थे।ये सभी तकनीकी संसाधनो से लैस थे और वाकी-टाकी से जुड़े थे। सड़क, नाली आदि की साफ-सफाई की ज़िम्मेदारी सूरत और अहमदाबाद से आए लोगों ने संभाल रखी थी।भोपाल प्रवास के दौरान सैयदना मुफ़्दद्दल सैफुद्दीन साहब शहर समाज के करीब दस घरों मे गए। एयरपोर्ट रोड स्थित पंचवटी कालोनी मे भी उनके दीदार करने बहुत से लोग पहुंचे।यहाँ उन्होने समाज के बीस जोड़ों का निकाह पढ़वाया। इसके बरक्स अन्य धार्मिक संगठनों द्वारा छोटे-बड़े हर आयोजनो के लिए पुलिस सुरक्षा मांगी जाती है। साफ-सफाई ,पेयजल आपूर्ति और अन्य प्रबंध भी सरकार के जिम्मे रहते हैं।अब समय आ गया है कि सरकार इस प्रकार की मुफ्त बेगार से हाथ खींचे और ऐसे कामों के एवज मे तगड़ी रकम वसूल करे जिससे पुलिसजनो और अन्य सरकारी अमले को अतिरिक्त ड्यूटी का भरपूर पैसा मिले।
EnriqueWooky on सैयदना साहब के बंदोबस्त मे नहीं ली पुलिस
Jeremypen on सैयदना साहब के बंदोबस्त मे नहीं ली पुलिस
DerekCop on सैयदना साहब के बंदोबस्त मे नहीं ली पुलिस
Aaronphimi on सैयदना साहब के बंदोबस्त मे नहीं ली पुलिस
Dominicamemi on सैयदना साहब के बंदोबस्त मे नहीं ली पुलिस